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धारा - 11 एकान्त परिरोध

धारा - 11 एकान्त परिरोध
काल्पनिक चित्र 

भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा - 11

 (एकान्त परिरोध) 

जब कभी कोई व्यक्ति ऐसे अपराध के लिए दोषसिद्ध ठहराया जाता है जिसके लिए न्यायालय को इस सहिंता के अधीन उसे कठिन कारावास से दण्डादिष्ट करने की शक्ति है, तो न्यायालय अपने दण्डादेश द्वारा आदेश दे सकेगा की अपराधी को उस कारावास के जिसके लिए वह दण्डादिष्ट किया गया है, किसी भाग या भागो के लिए, जो कुल मिलाकर 3 मास से अधिक नही होंगे, निम्न मापमान के अनुसार एकांत परिरोध में रखा जायेगा  अर्थात- 

(क) - यदि कारावास की अवधि 6 मास से अधिक न हो तो एक मास से अनधिक समय

(ख) - यदि कारावास की 6 मास से अधिक हो और एक वर्ष से अधिक न हो तो दो मास से अनधिक समय:

(ग) - यदि कारावास की अवधि एक वर्ष से अधिक हो तो तीन मास से अनधिक समय: 

(IPC) की धारा 73 को (BNS) की धारा 11 में बदल दिया गया है।
(IPC) की धारा 73 को (BNS) की धारा 11 में बदल दिया गया है।


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